हिंदी माँ संग वार्तालाप एक दिन मेरे सपने में एक लेडी आई, मैने ली अंगड़ाई और पूछा,ओ मैड़म कौन हो तुम ? तो वो गुस्से में बोली,हाँ हाँ अब तू मुझे क्यों पहचानेगी, अब तो तू अपनी अंग्रेजी मौसी को ही जानेगी । तू तो अब अपनी मौसी की दीवानी है, तेरे लिए तो अब मेरी सूरत भी अनजानी है । मैं आँख मलते हुए खुश होकर बोली, अरे माँ ! मेरी हिंदी माँ ! तू कब आई ? माँ आँसू पोछते हुए बोली,क्या कहूँ अब मैं बेटी , मै बूढी हो गई हूँ ना, अब तुम्हे गँवार लगती हूँ ना । मै सकपकाई और बोली ,माँ…तू तो अभी अच्छी खासी जवान है , अरे तेरे से ही तो हमारी पहचान है । माँ िझडकते हुए बोली,जा जा, मुझे अब कौन याद करता है, तेरा बाप भी तो अब तेरी मौसी पर ही मरता है। मैने कुर्सी खींची और समझाते हुए कहा, माँ तू बैठ, माँ तू बैठ, माँ बोली चल चल फिल्मी ड़ायलोग मत फैंक । मैने कहा पर सच बोलू माँ अंग्रेजी मौसी बहुत अच्छी है, वो यहाँ वहाँ सब जगह बहुत इज्जत दिलाती है । माँ बोली हाँ भई अब तो मुझे माँ बताने में तुम्हे लाज आती है, यही सब देखकर तो मेरी आँख शर्म से झुक जाती है । मैने कहा माँ तू क्यों घबराती है, ऐसे क्यों सोचती है? देख मैं तो तेर...
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