अजब रोग हर उम्र का आज एक ही रोग है, मोबाइल को थामे हुए यहाँ हर लोग हैं। मेरा क्या तेरा क्या सबका सहारा है ये, बच्चो के लिए तो चंदा मामा से प्यारा है ये। पर मेरे लिए तो मेरे जिगर का लाल है, इसके बिना जीना एक पल बेहाल है। सुबह गहरी नींद से यही तो जगाता है, फिर वहीं से कसकर हाथ थाम लेता है। जो काम करने बैठूँ तो टिंग टिंग करता है, गर न उठाऊँ तो एसे मुझे घूरता है। जो काम शुरू किया वो पडा रह जाता है, कब में ये सारा समय चूस जाता है। आँखों से हटते ही सूना सूना जग लगे, इसके बिना जिंदगी का मकसद अधूरा लगे। लेकिन सच कहँ मैं मोबाइल को थोडा छोडिए, नज़रो को उठाइए और सामने तो देखिए। थोडा मुस्कुराइए थोडा गुनगुनाइए बच्चो संग खेलिए, बीबी संग बतियाइए आपसे बस मेरा यही अनुरोध है, मोबाइल को थामे हुए यहाँ जो लोग हैं -शालिनी गर्ग
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