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Showing posts from May, 2017

गिरिराज किशोर गर्ग

२० वर्ष पुराना ये नगमा जिसका पहला अक्षर मिलाकर तुम्हारा नाम बनता है आज शादी की वर्षगाँठ पर अचानक याद आ गया गि ला न शिकवा खुदा से कोई रि स्ता जो मिला तेरे प्यार का रा तो को अकसर देखा था, ज ब ख्वाब तेरे दीदार का। कि स्मत ने मुझको दे दिया आज शौ हर मेरा दिलदार सा, र ब से दुआ है इतनी बस ग म का न अब कोई साथ मिले र हू तेरी बन के तेरे दिल मे हमेशा ग लती से भी हमारा विश्येवास न हिले  । -शालिनी गर्ग

बीता पल

बीता तेरे साथ जो पल अफसाना बन गया, कुछ खुशी का कुछ गम का तराना बन गया। सोचा था अब ढेर सारी बाते होंगी तेरी मेरी, पर गुपचुप गुमसुम सा एक फसाना बन गया। अनजानों की तरह मिले,फिर चल दिए हम घर, सोचा था जो ख्वाब वो दिल में ही दब गया। पर बीता ये खामोश पल भी मुस्कान दे गया, तुझे याद करने का एक नया बहाना बन गया।

माँ

माँ तेरी हर बात याद आती है माँ मुझे आज। तेरी हर डाँट प्यारी लगती है माँ क्युँ आज। तेरा वो रोकना वो टोकना जो गवारा नहीं था मुझे, क्यों सही लगता है हर वो पल माँ आज। कभी पढाई के लिए तेरा टी.वी.पर रोक लगाना कभी पढाई छुडवाकर हमें ताश खिलाना। हँसी दे जाता है वो लम्हा जब याद आता है मुझे आज तेरी हर बात याद आती है माँ मुझे आज, वो सूँई में धागा पिरोकर सिलना सिखाना बुनाई, कढाई का वो उलझा सुलझा ताना बाना न जाने किन यादों में उडा ले चला है मुझे आज। तेरी हर बात याद आती है माँ मुझे आज... तेरी सास देगी ताने मुझे का वो डर दिखाना, इस बहाने घर के हमें सारे काम सिखाना, तेरे काम करने का वो हुनर मुझमें झलकता है माँ आज। तेरी हर बात याद आती है माँ मुझे आज... सुबह सुबह चाय के साथ तेरा हमें जगाना, और नरम नरम गरमागरम रोटियाँ खिलाना। क्यों वो दिन वापस नहीं आता है आज। तेरी हर बात याद आती है माँ मुझे आज... -शालिनी गर्ग'