ऐ नारी कुछ तो दया कर, मत कर तू अत्याचार , बेचारे पुरूष तेरी गुलामी करकरके , हो गए हैं लाचार । ऐ नारी कुछ तो दया कर मत कर तू अत्याचार सुबह से लेकर शाम तक देखो , गधे की भाँति जुते रहे। रात को फिर बेगम संग दौडा रहे मोटर कार। ऐ नारी कुछ तो दया कर मत कर तू अत्याचार माँ बाप से तू उनको कोसो दूर ले आई बच्चो को भी अब उनकी कोई बात नहीं भाई। बेचारे व्हाट्स ऐप कर कर के हो रहें है बेकार ऐ नारी कुछ तो दया कर मत कर तू अत्याचार एक जमाना था कभी जब , पुरूष भी बोला करते थे , लेकिन अब हर बात से पहले इजाज़त माँगा करत हैं बिन पूछे कुछ बोल दिया तो पड जाती है फटकार ऐ नारी कुछ तो दया कर मत कर तू अत्याचार अत्याचार से पीडित ये चुपचाप किनारे बैठ जाते हैं घर के फैसले सारे मैडम करती , ये राहुल, मोदी से दिल बहलाते हैं शायद कोई मसीहा आकर करदे अब इनका उद्धार ऐ नारी कुछ तो दया कर मत कर तू अत्याचार