घर घर की महाभारत मम्मी पापा तैयार खड़े थे, गृह क्षेत्र के मैदान में। मम्मी का रसोईक्षेत्र और पापा थे टीवी के सामने।। दोनों ओर से वाकयुद्ध तो, जैसे शुरू हो ही चुका था। एक दूजे के चुभते बाणों से, पूरा घर जग चुका था।। दादी ने भी चश्मा लगाकर ड्राइंग रूम में प्रवेश किया। दादाजी ने अखबार उठाकर, चाय पीना छोड़ दिया।। मम्मी का सारथी बन, बेटे ने रसोई संभाल ली थी । अपनी सहयोग शक्ति सारी, मम्मी को सौंप दी थी।। पापा बोले दादा-दादी से, कोई बीच में नहीं बोलेगा। प्रियबहू का पक्ष लिया तो, मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।। मम्मी बोली बेटा मेरे जरा, किचन का दरवाजा खोलो। मैंने बेलन उठा लिया है, ड्राइंग में बस मेरे संग चलो।। देखूँ तो इनका साथ देने, के लिए कौन-कौन है खड़ा। ऐसा कौन है जिसको पंगा, लेने का शौक है चढ़ा।। मम्मी ने ड्राइंग में आकर, जब अपनी दिव्य दृष्टि उठाई। सास, ससुर, नंद ,देवर, लगता है सबकी शामत आई।। बेट...
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