ये दिल है मेरा, हाँ ये दिल है मेरा, शीशे का नहीं जो पल में टूट कर चकनाचूर हो जाये, न प्लास्टिक का जो छोटी मोटी बातों पर चटक जाये। न कागज़ का जो आसानी से फट कर बिखर जाये, मोम का भी नहीं जो पिघल कर यूँ आँसू बहाता जाये। न पत्थर जैसा कठोर जो हर चोट बरदाश्त कर जाये, ये दिल है रबर का हाँ ये मेरा दिल है रबर का थोड़ा सा मुलायम, थोड़ा सा लचीला, न बहुत सख्त है न बहुत हठीला। हर चोट को आसानी से पार कर जाता है, आहत के तीरों को अपने में समाता है। सब भूल कर वापस फिर से मुस्कुराता है, ये दिल है रबर का हाँ ये मेरा दिल है रबर का। शालिनी गर्ग
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