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Showing posts from July, 2022

जीव का पृथ्वी पर आगमन जीव का 24तत्वो से निर्माण (श्रीमद भागवतम् )

      श्रीमद भागवतम् ( SB 3.5) से जीव का पृथ्वी पर आगमन    एक जीव बड़ा ही प्यारा था, वो ईश्वर का दुलारा था। दुनिया उसकी निराली थी चारो तरफ खुशहाली थी।। दूध दही की वहाँ नदिया थीं, सोने चाँदी की बगियाँ थीं। उस बगिया में जाने कहाँ से तमों गुणी तितली एक आई। भोले जीव पर ड़ाल दी अपनी तमो गुणी उसने परछाई ।। तमों गुण को छूना था अब मिथ्या अहंकार को जगना था। ईश्वर को अब तजना था और भौतिक जगत में पटकना था।। काल के हाथों खाई पटकी, अब दिखा माया का चेहरा था। माया देवी के सैनिको का चारो दिशाओं में डेरा था ।। बोली माया कौन है रे ? तू ऐसे नहीं है जा सकता। आत्मारूप में इस जगत में तू प्रवेश नहीं पा सकता।। तू सुगंध सा यहाँ उड़ जायेगा चाहिये तुझको एक काया। मिथ्या अहंकार ही मदद करेगा जो तुझको यहाँ है लाया।। मिथ्या अहंकार भी सूक्ष्म बहुत उसको बहुत कुछ करना है।   मेरी प्रकृति के तीन गुणों से आत्मा संग गुजरना है।। पिछले जन्म के कर्मफल से तुझको ये गुण मिलना है। इन तीन गुणों के अनुपात से ही तेरी प्रकृति को गढ़ना है।। पूर्व जन्म के कर्म ही रचते, इस ...

त्रुटि से चुटकी तक (समय की सूक्ष्तम इकाई से समय की महानतम ईकाई तक)

भागवतम के तृतीय स्कंध से जानिये विज्ञान पर अद्भुत कविता  ( समय की सूक्ष्तम इकाई से समय की महानतम ईकाई तक) त्रुटि से चुटकी तक   विज्ञान में हम सब ने पढ़ा है, एक परमाणु होता है। सृष्टी का ये सूक्ष्म कण है, जो अविभाज्य होता है।। सृष्टी का जब प्रलय होता, तब भी परमाणु रहता है। एकत्व रूप में रहकर तब ये कैवल्यं कहलाता है।। इसके संयोजन से ही, सृष्टी का रूप निखरता है। काल भी इसके संयोजन, अवधि से ही नपता है। आओ मैं तुमको बतलाऊँ, ये कैसे कैसे होता है । परमाणु संयोग से कैसे, काल का मापन होता है।। दो परमाणु जब मिलते, तो एक अणु बन जाता है। ये अणु तरह तरह से, अपनी पहचान बनाता है।। तीन अणु मिलकर दोस्ती का, एक बिगुल बजाते है। ये त्रिअणु विज्ञान में, प्रकाश कण कहलाते है।।  सूरज की रश्मि में ये तो, रेणु जैसे चमकते है। खिडकी से आती धूप में, हमको ये सब दिखते हैं।। देखें प्रकाशकण के मिलन समय को क्या कहते है। बिन गलती करके भी, बेचारे त्रुटि में ही नपते हैं।। काल की सबसे छोटी अवधि, त्रुटि मानी जाती है। सैकेंड का लगभग डेढ़ हज़ारवा, भाग कहलाती है।।  सौ त्रुटि की संगम अवधि, को एक वेध बताते हैं...