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Showing posts from September, 2022

मगर कुछ कह नही पाते

  मगर कुछ कह नही पाते   विजात छंद १२२२ १२२२ हमें कहना बहुत कुछ है, मगर कुछ कह नही पाते हमारे नैन पढ लो तुम, तुम्हे बस नैन समझाते तुम्हारी मुस्कुराहट ये, हमें तो प्यार लगती है तुम्हारी टकटकी नजरे, हमें इजहार लगती है  कभी जब हाल पूछा था अभी तक याद आता है अकेले बैठती जब भी, मुझे आकर सताता है कभी डीपी बदलते है तुम्हे इमप्रैस करते हैं तुम्हारी पिक्स पर अकसर, हमी कोमैंट करते हैं तुम्हे दिल में बसाया है तुम्हे अपना बनाया है तुम्हारी हर अदा पर ही हमें बस प्यार आया है कसम खा कर बताते हैं, यही इकरार करते है लबों से कह दिया अब तो, तुम्ही से प्यार करते हैं