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Showing posts from September, 2023

जय गणपति गजानन

  एकदंत दयावंत, गणपति गजानन, विघ्न के है विनाशन,सुख समृद्धि दाता। प्रथम पूजन होता, आनंदवर्धन होता, मन भाव शुद्ध होता,विद्या विनय दाता। मोदक दुर्वा है भावे, मूषक सवारी पावे, रिद्धि सिद्धि संग लावे,धन वैभव दाता। सजाया है दरबार, विनती है बारंबार, भक्तो की सुन पुकार, शुभमंगल दाता।। शालिनी गर्ग  

प्रेम पर प्रेम से भरी कविता

  प्रेम जग का आधार , प्रेम ईश्वर का प्यार प्रेम से बढ़े श्रृंगार , प्रेम ही खजाना है प्रेम ही आशा का दीप , प्रेम से होती है जीत प्रेम से बनते मीत , प्रेम गीत गाना है प्रेम नहीं मजबूरी , प्रेम में धैर्य जरूरी  प्रेम मे हो चाहे दूरी , प्रेम बरसाना है। प्रेम नही है कामना , प्रेम नही हक पाना, प्रेम सब अपनाना , प्रेम देते जाना है।  

मन पर मनहरण घनाक्षरी छंद मे एक शानदार कविता

  मन की ये मनमानी, जब भी मन ने मानी मान नही बढता है, मान घट जाता है। मन की माँगे मुरादे, मन यहाँ वहाँ भागे, मन की लगाम कसो, मन सध जाता है। मन का मनन करें, मन में विवेक भरें, मन से संवाद करें , मन मान जाता है मन जीत राह पाये,  मन हार पछताये मन को जो समझाये, योगी बन जाता है