एकदंत दयावंत, गणपति गजानन, विघ्न के है विनाशन,सुख समृद्धि दाता। प्रथम पूजन होता, आनंदवर्धन होता, मन भाव शुद्ध होता,विद्या विनय दाता। मोदक दुर्वा है भावे, मूषक सवारी पावे, रिद्धि सिद्धि संग लावे,धन वैभव दाता। सजाया है दरबार, विनती है बारंबार, भक्तो की सुन पुकार, शुभमंगल दाता।। शालिनी गर्ग
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