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पुष्प वाटिका में प्रभु श्री राम से सीता जी का प्रथममिलन

      सीता जी का पुष्प वाटिका में प्रभु श्री राम से प्रथममिलन के समय का एक गीत राम लक्ष्मन चले वाटिका घूमने, पुष्प हर्षित हुये वृक्ष लगे झूमने। मस्त गाये पवन, मोर नाचे मगन, पंक्षियों के कलरव लगे गूँजनें।।1।। राम लक्ष्मन चले.............. पूजने मात गौरी को आई सिया, संग में चल रही चंचल सखियाँ। माँ को वंदन करें, पुष्प अर्पित करें, माँगे सुंदर सलौना सा प्यारा पिया।।2।। राम लक्ष्मन चले .................... बाग में तितलियाँ, पीछे पीछे सखियाँ, फूल चुनते भइयों ,पर टिकी अँखियाँ। देख दोनो कुँवर, दिल में उठे भँवर, जानकी से कहें, सारी मन बतियाँ।।3।।   राम लक्ष्मन चले............. रूप जैसे मदन, अति मोहक चितवन , सुन सिया जी चली, जहाँ राम लखन। देख पावन छवि, प्रीत पुरातन जगी, नुपुर कंगन बजे, मिल गये दो नयन।।4।। राम लक्ष्मन चले ............. चेहरा चाँद सा, राम तकते रहे, प्रेम की डोर में, दोनो बँधते रहे। कामदेव रति, भूले अपनी गति, वे पलक में छिपे, देखते ही रहे।।5।। राम लक्ष्मन चले.............. जानकी सोचती, प्रण पिता ने लिया, ...
https://sunderkand.vercel.app/     हिंदी दोहों और चौपाइयों में सुन्दरकांड SUNDAR KAND - HINDI DOHON AUR CHOWPAAIYON M AE   ISBN : 978-93-94660-26-7   प्रबंध कार्यालय : 516/4, बी.एल. साहा रोड, ग्राउंड क्रलोर कोलकाता - 700038 मो. : 94324-19815 ई-मेल : enterprisesaa2019@gmail.com लेखिका : शालिनी गर्ग संस्करण : 2023 मूल्य : 50/- शब्द सज्जा : परमानंद झा, मो. : 95550-21641 मुद्रक : मिश्का इन्फोटेक, कोलकाता       समर्पण   पूजनीय माताजी स्व. श्रीमती मिथलेश जी गोयल को भावपूर्ण समर्पित —शालिनी गर्ग   मन की बात मिल जाती जब प्रभु कृपा, कठिन नहीं है काज। सागर में देती लगा, रूई भी है आग।। भगवान श्रीराम जी और श्री हनुमान जी के चरणों में बारंबार वंदन। उनकी कृपा से ही मैं महान कवि तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस के सुंदरकांड सोपान को जो अवधि भाषा में है, हिंदी की चौपाई, दोहों और छंद में रूपांतरित कर पाई। तुलसीदास जी का जिस चौपाई में जो भाव है मैंने वैसा ही लिखने का प्रयास किया है। ईश्वर के आशीर्वाद से ही मेरी कलम चलती गई। मेरी प्रथम पुस्तक ‘हि...