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Showing posts from 2014

तेरे लिए

तेरे लिए हर किसी की जिन्दगी में कोई ऐसा आता है , जो इस बेरंग जिन्दगी को हसीन और रंगीन बनाता है, पर कभी गमगीन भी वही बनाता है। कभी तुम्हारी अदाओं पे मरता है, कभी तारीफें करता है, और कभी हर बुरी आदत बदलना चाहता है। कभी विश्वास दिलाता है,और कहता है जानू you are the best, और फिर तभी careless का खिताब पहनाता है । कभी पूछता है , कैसे manage करती हो तुम यह सब, फिर पल में responsibility का lecture पढ़ाता है। कभी हँसाता है ,कभी रुलाता है, कभी झगडता है, कभी मनाता है, कभी दुनिया का सबसे प्यारा ,कभी दुनिया का आठवा अजूबा लगता है। खट्टे,मीठे, कडवे,नमकीन ,चटपटे flavour के साथ जिंदगी सजाता है। सच में बहुत special है वो, जिसके बिना हर पल अधूरा है और जिसकी एक मुस्कान पर ही तो ये दिल बार बार मरता है। -शालिनी गर्ग

हिंदी माँ संग वार्तालाप

हिंदी माँ संग वार्तालाप एक दिन मेरे सपने में एक लेडी आई, मैने ली अंगड़ाई और पूछा,ओ मैड़म कौन हो तुम ? तो वो गुस्से में बोली,हाँ हाँ अब तू मुझे क्यों पहचानेगी, अब तो तू अपनी अंग्रेजी मौसी को ही जानेगी । तू तो अब अपनी मौसी की दीवानी है, तेरे लिए तो अब मेरी सूरत भी अनजानी है । मैं आँख मलते हुए खुश होकर बोली, अरे माँ ! मेरी हिंदी माँ ! तू कब आई ? माँ आँसू पोछते हुए बोली,क्या कहूँ अब मैं बेटी , मै बूढी हो गई हूँ ना, अब तुम्हे गँवार लगती हूँ ना । मै सकपकाई और बोली ,माँ…तू तो अभी अच्छी खासी जवान है , अरे तेरे से ही तो हमारी पहचान है । माँ िझडकते हुए बोली,जा जा, मुझे अब कौन याद करता है, तेरा बाप भी तो अब तेरी मौसी पर ही मरता है। मैने कुर्सी खींची और समझाते हुए कहा, माँ तू बैठ, माँ तू बैठ, माँ बोली चल चल फिल्मी ड़ायलोग मत फैंक । मैने कहा पर सच बोलू माँ अंग्रेजी मौसी बहुत अच्छी है, वो यहाँ वहाँ सब जगह बहुत इज्जत दिलाती है । माँ बोली हाँ भई अब तो मुझे माँ बताने में तुम्हे लाज आती है, यही सब देखकर तो मेरी आँख शर्म से झुक जाती है । मैने कहा माँ तू क्यों घबराती है, ऐसे क्यों सोचती है? देख मैं तो तेर...

लेना होगा तुझे दूसरा जन्म ओ गाँधी।

लेना होगा तुझे दूसरा जन्म ओ गाँधी। देश में बढ रही है भ्रष्टाचार की आँधी, लेना होगा तुझे दूसरा जन्म ओ गाँधी। तेरे आदर्श तेरे मूल्य न जाने कहाँ खो गए, कुर्सी के लिए हर रोज कतलेआम यहाँ हो रहे, रोकनी होगी तुझे मेरे देश की बर्बादी, लेना होगा तुझे दूसरा जन्म ओ गाँधी। क्या साधू क्या नेता सभी से विश्वास उठ गया, देश का पैसा विदेशी बैंको में भर गया, डालर के आगे रूपए ने अपनी कमर है झुका दी, लेना होगा तुझे दूसरा जन्म ओ गाँधी। सच्चाई और अहिंसा की हँसी जमाना उडा रहा, नैतिकता का पाठ किताबों से भी जा रहा, विदेशी बाजार के सामने स्वदेशी टोपी है जला दी, लेना होगा तुझे दूसरा जन्म ओ गाँधी। वैसे तो हर साल हम २ अक्टूबर है मनाते, झंडा फहराकर तुझे याद करते और छुट्टी मनाते, पर आज हमनेे तेरी हर बात है भुला दी, लेना होगा तुझे दूसरा जन्म ओ गाँधी। -शालिनी गर्ग

हिन्दी की पाठशाला

हिन्दी की पाठशाला हिन्दी अध्यापिका के लिए इश्तहार था आया, हमने भी अपना हौसला बढाया और, साक्षात्कार के लिए कदम बढाया । उन्हे भी हमारा अंदाज पसंद आया, और अगले हफ्ते से ही हिन्दी पढाने का हुक्म फरमाया । फिर क्या था हमने भी अपनी सारी जुगत लगाई, हिन्दी सिखाने की सारी तरकीब अपनाई। पर हाय री किस्मत ! जब हिन्दी सिखाने की यहाँ कोई किताब न पाई, तब हमने अपने प्यारे गूगल को आवाज लगाई। खैर पाठ बनाए हमने और शुरू हो गई पाठशाला, जिसमें थे कम्पनी के अफसर आला आला। पहले दिन का पाठ सभी को बहुत भाया, सभी ने अपनी पसंद का वाक्य बतलाया। किसी को आप कैसे हैं ? मै अच्छा हूँ, बहुत भाया, तो किसी को अच्छा बच्चा का रिदिम रास आया। एक मोहतरमा को तो अच्छा चलते हैं का जुमला बहुत भाया। और उन्होने ये जाकर अपनी कार्य स्थली में दोहराया। कहाँ मिलोगी बसंती ?पलट कर जवाब ये आया। कुछ समझ न पाई वो झट नोट डाउन किया और आकर हमें बतलाया। एक दिन पाठशाला में हमने समझाया, हिन्दी में बडो को बहुत इज्जत देते हैं इसलिए उन्हे एकवचन में नहीं बहुवचन में बोलते हैं। जैसे माई फादर को मेरा पिता जी नहीं मेरे पिताजी बोलेंगे। चलिए इस पर अब इस पर एक न...

वो एक छोटी सी कन्या

वो एक छोटी सी कन्या, आसमान को चूमती, बारिश में झूमती, तारों को घूरती, हर पल चिडिया सी चहकती, वो एक छोटी सी कन्या। पापा की नन्ही  परी, मम्मी के लाडो लडी, भैया बहिन की फूलझडी घर की रौनक बडी, वो एक छोटी सी कन्या। लाल लहँगे मे फबी , सोलह श्रंगार से सजी, कुछ खुशी कुछ गम लिए, पल में सब से पराई हो गई , वो एक छोटी सी कन्या। अपनी पहचान को भूलती, नए रिश्तों से जुडती, अपनी सभी आदते बदलती, सबकी पसंद को अपनाती, वो एक छोटी सी कन्या। सबकी खुशी में अपनी खुशी ढूँढते, बच्चो को संभालते, घर को सजाते, अपने सपनो को भूलते भूलते, कब अचानक से बूढ़ी हो गई, वो छोटी सी कन्या।। -शालिनी गर्ग