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Showing posts from 2016

तारीफ़

तारीफ़ तारीफ़ एक नायाब तोहफ़ा है , जो आपके जज्बातों को बयाँ कर, जिस को दो उसे खुश कर जाता है। सुनने वाला भी यह पल समेटकर, अपनी मीठी यादों में संजोता है। फिर ये तोहफ़ा देने में तू क्यों हिचकिचोता है। यह तोहफा जो कभी आत्मविश्वास बढाता है, तो कभी अपने पर थोडा गुरूर लाता है , कभी चेहरा शर्म से सुर्ख कर जाता है, तो कभी-कभी रोते दिलो को हँसाता है। फिर इस अनमोल तोहफ़े को देने में तेरा क्या जाता है। पर शायद ये तोहफ़ा देने का हुनर हर कोई नहीं समझपाता है, इसके लिए दिल को सरल व सोच को सकारात्मक बनाना होता है। तब ये छोटा सा तोहफ़ा हर दिल में प्यार जगाकर, कितने रिश्ते बना जाता है,कितने वापस ढूँढ लाता है, फिर ये तोहफ़ा लेकर घूमने में तेरा क्या जाता है। -शालिनी गर्ग

अजब रोग

अजब रोग हर उम्र का आज एक ही रोग है, मोबाइल को थामे हुए यहाँ हर लोग हैं। मेरा क्या तेरा क्या सबका सहारा है ये, बच्चो के लिए तो चंदा मामा से प्यारा है ये। पर मेरे लिए तो मेरे जिगर का लाल है, इसके बिना जीना एक पल बेहाल है। सुबह गहरी नींद से यही तो जगाता है, फिर वहीं से कसकर हाथ थाम लेता है। जो काम करने बैठूँ तो टिंग टिंग करता है, गर न उठाऊँ तो एसे मुझे घूरता है। जो काम शुरू किया वो पडा रह जाता है, कब में ये सारा समय चूस जाता है। आँखों से हटते ही सूना सूना जग लगे, इसके बिना जिंदगी का मकसद अधूरा लगे। लेकिन सच कहँ मैं मोबाइल को थोडा छोडिए, नज़रो को उठाइए और सामने तो देखिए। थोडा मुस्कुराइए थोडा गुनगुनाइए बच्चो संग खेलिए, बीबी संग बतियाइए आपसे बस मेरा यही अनुरोध है, मोबाइल को थामे हुए यहाँ जो लोग हैं -शालिनी गर्ग

मै तुम्हारी अपनी हिन्दी हूॅं!

अभिलाषा

आतंकवाद

आतंकवाद कोई मुझे बता दे इन आतंकिओं की अभिलाषा, क्या पहचान है इनकी, है कौन सी इनकी भाषा। दिखने में तो लगते हैं ये सब हूबहू इंसान, पर जानवरों से भी कम होता है इनमें ज्ञान। न दिल की है ये सुनते, न दिमाग को चलाते, बस बनकर शैतान ,कत्लेआम है मचाते। काश एक बार इन्हे कोई तो ये समझाए, मासूमों की चीखों का दर्द महसूस कराये। प्यार का सबक कोई तो इन्हे पढाए, फूल और काँटे में अन्तर करना सिखाए। नफरत का पाठ जो हरदम पढाते हैं इन्हे अपना जिसे समझते हैं ये,वही डसते है इन्हे। नफरत से भी कभी क्या कोई जीता है यहाँ, इंसानियत से बडा कोई मजहब नहीं है यहाँ। काश ये सब इन आतंकियों की समझ में आ जाता, तो ये संसार इस आतंकी आग में यूं न सुलग पाता। -शालिनी गर्ग