परिणय सूत्र
का ये गठबंधन,
बन ना जाये
गाँठों का बंधन,
सूत्र मिलेंगें
अगर तो टकरायेंगे,
अपने
अपने रस्ते सही पायेंगें,
अकड
छोडकर, नरम होकर
मिलकर गाँठ
सुलझा लेना।
इस गठबंधन
को निभा लेना।।
चूडी की
खनखन होती मधुर,
जब हल्के-हल्के
टकराती है,
झटके से
बज उठे अगर तो,
पल में चूर-चूर
हो जाती है।
पायल की
रूनझुन खिल उठती,
जब अपने
राग पर है थिरकती,
नहीं तो
केवल इन सुंदर पैरों,
की खूबसूरत
बेडी बन जाती है।
कानों में
लटका भारी झुमका,
ज़ुल्फों
के वार सब सह लेता,
उसको
थामें उसके पीछे जब,
सहारा
बन कोई छिपा होता।
लहराती
हुई ये साडी भी तो,
सेफ्टीपिन
ही सँभाले है रखता,
नुकीली
चुभती इन पिनों से
कभी-कभी
रिश्ता भी सँभलता,
बस
सहारा बनना एकदूजे का
सूई बनकर
रिश्ते सिल लेना
पवित्र मजबूत
गठबंधन को
कैंची
की नज़र न लगने देना।
अकड
छोडकर, नरम होकर
मिलकर गाँठ
सुलझा लेना।
इस गठबंधन
को निभा लेना।।
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