ये स्कूल के दिन हम कहो कैसे भूल पायेंगे ये दोस्ती की कश्ती हम अब किधर पायेंगें दिल के बस्तों में अब यादों के मोती सजायेंगें ये दिन यारों लौट लौट कर हम याद आएँगे ये स्कूल के दिन हम कहो कैसे भूल पायेंगे ये दोस्ती की कश्ती, हम अब किधर पायेंगें जल्दी जल्दी उठना और जल्दी जल्दी नहाना जल्दी जल्दी से टाई को गले में लटकाना बस को पकड़ने के लिये जल्दी जल्दी भागना और जूते के फीतों को तो बस में ही बाँधना इन सब झमेलो से तो सही है बच जाएँगे ये स्कूल के दिन हम कहो कैसे भूल पायेंगे ये दोस्ती की कश्ती, हम अब किधर पायेंगें क्लास में बहानों की भी पाठशाला चलती थी नये नये बहाने पर दोस्तों की दाद मिलती थी टीचर भी सब जानकर अंजान बनती फिरती थी सारे बहानों की सजा रिपोर्टकार्ड में ही दिखती थी पर वो बहानों की माला अब किसको पहनाएँगें ये स्कूल के दिन हम कहो कैसे भूल पायेंगे ये दोस्ती की कश्ती हम अब किधर पायेंगें ब्रेक के टाइम का कितना इंतजार रहता था टिफिन तो ब्रेक से पहले ही उड लेता था कैंटीन की धक्कामुक्की में बाजी जो जीत लेता था, वही तो हम सबकी शाबासी का ...
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