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Showing posts from 2022

मगर कुछ कह नही पाते

  मगर कुछ कह नही पाते   विजात छंद १२२२ १२२२ हमें कहना बहुत कुछ है, मगर कुछ कह नही पाते हमारे नैन पढ लो तुम, तुम्हे बस नैन समझाते तुम्हारी मुस्कुराहट ये, हमें तो प्यार लगती है तुम्हारी टकटकी नजरे, हमें इजहार लगती है  कभी जब हाल पूछा था अभी तक याद आता है अकेले बैठती जब भी, मुझे आकर सताता है कभी डीपी बदलते है तुम्हे इमप्रैस करते हैं तुम्हारी पिक्स पर अकसर, हमी कोमैंट करते हैं तुम्हे दिल में बसाया है तुम्हे अपना बनाया है तुम्हारी हर अदा पर ही हमें बस प्यार आया है कसम खा कर बताते हैं, यही इकरार करते है लबों से कह दिया अब तो, तुम्ही से प्यार करते हैं  
  बच्चों से ही घर का कोना कोना सजता है , बिन बच्चों के तो ये घर अब सूना लगता है। हँसते गाते रोते लडते कब गुजरे वो दिन , हर दिन अब तो खामोशी में दूना लगता है। बच्चों से ही घर का कोना कोना सजता है , बिन बच्चों के तो ये घर अब सूना लगता है। फैला कमरा बिखरा बिस्तर अब कैसे ढूँढें , परदा भी उनके बिन अब सहमा सा दिखता है। बच्चों से ही घर का कोना कोना सजता है , बिन बच्चों के तो ये घर अब सूना लगता है। जिम्मेदारी में डूबे वे दिखते जब   हमको , उनके बिन भी घर में उनका साया दिखता है।। बच्चों से ही घर का कोना कोना सजता है , बच्चों के बिन तो ये घर अब सूना लगता है। पूछे कोई आएँगें कब बच्चे मिलने को  , उँगली पर दिन गिनना सच में अच्छा लगता है। बच्चों से ही घर का कोना कोना सजता है , बच्चों के बिन तो ये घर अब सूना लगता है।        

ये दोस्ती ( मधु मालती छंद 221221)

 ये दोस्ती कुछ खास है खुद से अधिक विश्वास है सुंदर सुखद एहसास है दुख की घडी में आस है ये दोस्ती कुछ खास है ये दोस्ती संसार है अनमोल ये उपहार है इससे सजे त्योहार है फूलो भरा ये हार है ये दोस्ती संसार है ये दोस्ती संगीत है ये अनकही सी प्रीत है ये जिंदगी की रीत है ये ताल है ये गीत है ये दोस्ती संगीत है ये दोस्ती उत्कर्ष है परमात्मा का स्पर्श है दिल में जगा ये हर्ष है इसके बिना संघर्ष है ये दोस्ती उत्कर्ष है ये दोस्ती पहचान है खुशियों भरी ये खान है जिंदादिली की शान है दिल में बसा अरमान है ये दोस्ती पहचान है ये दोस्ती शुभ मेल है मस्ती भरी ये रेल है फूलों भरी ये बेल है आसान सा ये खेल है ये दोस्ती शुभ मेल है ये दोस्ती सब जोड दे मुश्किल सफ़र को मोड दे चुप्पी लबों की तोड दे मटकी दुखों की फोड दे ये दोस्ती सब जोड दे ये दोस्ती सब जीतती जो जानता ये कीमती आराम से उम्र बीतती बढती उसी की कीर्ति ये दोस्ती सब जीतती ये दोस्ती दिनरात में ये छाँव बनती ताप में छतरी बने बरसात में गरमी करे सर्द रात में ये दोस्ती दिनरात में ये दोस्ती चित्तचोर की ये कहकहो के शोर की ये लालिमा है भोर की दिल से बँधी इक डोर की ...

जीव का पृथ्वी पर आगमन जीव का 24तत्वो से निर्माण (श्रीमद भागवतम् )

      श्रीमद भागवतम् ( SB 3.5) से जीव का पृथ्वी पर आगमन    एक जीव बड़ा ही प्यारा था, वो ईश्वर का दुलारा था। दुनिया उसकी निराली थी चारो तरफ खुशहाली थी।। दूध दही की वहाँ नदिया थीं, सोने चाँदी की बगियाँ थीं। उस बगिया में जाने कहाँ से तमों गुणी तितली एक आई। भोले जीव पर ड़ाल दी अपनी तमो गुणी उसने परछाई ।। तमों गुण को छूना था अब मिथ्या अहंकार को जगना था। ईश्वर को अब तजना था और भौतिक जगत में पटकना था।। काल के हाथों खाई पटकी, अब दिखा माया का चेहरा था। माया देवी के सैनिको का चारो दिशाओं में डेरा था ।। बोली माया कौन है रे ? तू ऐसे नहीं है जा सकता। आत्मारूप में इस जगत में तू प्रवेश नहीं पा सकता।। तू सुगंध सा यहाँ उड़ जायेगा चाहिये तुझको एक काया। मिथ्या अहंकार ही मदद करेगा जो तुझको यहाँ है लाया।। मिथ्या अहंकार भी सूक्ष्म बहुत उसको बहुत कुछ करना है।   मेरी प्रकृति के तीन गुणों से आत्मा संग गुजरना है।। पिछले जन्म के कर्मफल से तुझको ये गुण मिलना है। इन तीन गुणों के अनुपात से ही तेरी प्रकृति को गढ़ना है।। पूर्व जन्म के कर्म ही रचते, इस ...