चंचल नैन मिले जब से मन भूल गया अपनी अखियाँ।
मस्त हुआ
उनकी धुन पे मन भूल गया अपनी बतियाँ।
चाहत की एक
ड़ोर बँधी मन भूल गया अपनी सखियाँ।
झूम रहा अब
प्रीत भरा मन भूल गया अपनी गलियाँ।
Welcome to my poetry page. I like writing impactful Hindi poems and I post them here.
चंचल नैन मिले जब से मन भूल गया अपनी अखियाँ।
मस्त हुआ
उनकी धुन पे मन भूल गया अपनी बतियाँ।
चाहत की एक
ड़ोर बँधी मन भूल गया अपनी सखियाँ।
झूम रहा अब
प्रीत भरा मन भूल गया अपनी गलियाँ।
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