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Showing posts from August, 2022
  बच्चों से ही घर का कोना कोना सजता है , बिन बच्चों के तो ये घर अब सूना लगता है। हँसते गाते रोते लडते कब गुजरे वो दिन , हर दिन अब तो खामोशी में दूना लगता है। बच्चों से ही घर का कोना कोना सजता है , बिन बच्चों के तो ये घर अब सूना लगता है। फैला कमरा बिखरा बिस्तर अब कैसे ढूँढें , परदा भी उनके बिन अब सहमा सा दिखता है। बच्चों से ही घर का कोना कोना सजता है , बिन बच्चों के तो ये घर अब सूना लगता है। जिम्मेदारी में डूबे वे दिखते जब   हमको , उनके बिन भी घर में उनका साया दिखता है।। बच्चों से ही घर का कोना कोना सजता है , बच्चों के बिन तो ये घर अब सूना लगता है। पूछे कोई आएँगें कब बच्चे मिलने को  , उँगली पर दिन गिनना सच में अच्छा लगता है। बच्चों से ही घर का कोना कोना सजता है , बच्चों के बिन तो ये घर अब सूना लगता है।        

ये दोस्ती ( मधु मालती छंद 221221)

 ये दोस्ती कुछ खास है खुद से अधिक विश्वास है सुंदर सुखद एहसास है दुख की घडी में आस है ये दोस्ती कुछ खास है ये दोस्ती संसार है अनमोल ये उपहार है इससे सजे त्योहार है फूलो भरा ये हार है ये दोस्ती संसार है ये दोस्ती संगीत है ये अनकही सी प्रीत है ये जिंदगी की रीत है ये ताल है ये गीत है ये दोस्ती संगीत है ये दोस्ती उत्कर्ष है परमात्मा का स्पर्श है दिल में जगा ये हर्ष है इसके बिना संघर्ष है ये दोस्ती उत्कर्ष है ये दोस्ती पहचान है खुशियों भरी ये खान है जिंदादिली की शान है दिल में बसा अरमान है ये दोस्ती पहचान है ये दोस्ती शुभ मेल है मस्ती भरी ये रेल है फूलों भरी ये बेल है आसान सा ये खेल है ये दोस्ती शुभ मेल है ये दोस्ती सब जोड दे मुश्किल सफ़र को मोड दे चुप्पी लबों की तोड दे मटकी दुखों की फोड दे ये दोस्ती सब जोड दे ये दोस्ती सब जीतती जो जानता ये कीमती आराम से उम्र बीतती बढती उसी की कीर्ति ये दोस्ती सब जीतती ये दोस्ती दिनरात में ये छाँव बनती ताप में छतरी बने बरसात में गरमी करे सर्द रात में ये दोस्ती दिनरात में ये दोस्ती चित्तचोर की ये कहकहो के शोर की ये लालिमा है भोर की दिल से बँधी इक डोर की ...