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Showing posts from February, 2023
  डमरू घनाक्षरी छंद 8888 -32 मात्रा (बिना मात्रा के)   कहत सजन अब , नयन चहककर झटपट रचकर , गज़ल नज़र कर।   कलम पकड कर , नवल चयन कर , सजल नयन पर , पग छम छम पर।   सरल सहज मन , धवल बदन पर , नटखट हरकत , अलहड़पन पर।   समझ - समझ कर , ठहर - ठहर कर , अजब गजब पर , गज़ल नज़र कर।।   शालिनी गर्ग