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 डमरू घनाक्षरी छंद

8888 -32 मात्रा (बिना मात्रा के)

 

कहत सजन अब, नयन चहककर

झटपट रचकर, गज़ल नज़र कर।

 

कलम पकड कर, नवल चयन कर,

सजल नयन पर,पग छम छम पर।

 

सरल सहज मन, धवल बदन पर,

नटखट हरकत, अलहड़पन पर।

 

समझ-समझ कर, ठहर-ठहर कर,

अजब गजब पर, गज़ल नज़र कर।।

 शालिनी गर्ग


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