विषय-
कृपाण घनाक्षरी
ह्रदय में उठते द्वंद, भरती भाव सुगंध,
लिखती हूँ मैं छंद, कलम
से मंद मंद।
कभी लिखूँ प्रेम रंग, कभी
जीवन की जंग,
कभी कल्पना तरंग, कभी
गुजरा प्रसंग।
पढ पढ होती दंग, गाती भी
मै संग संग,
दुख नहीं करे तंग, बढती
आशा उमंग।
हौसले होते बुलंद, मन में
बसे आनंद,
लगे खाया कलाकंद, जब भी
लिखूँ मैं छंद।
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