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Showing posts from 2023

दिल के दरवाजे लगाये

  दिल के दरवाजे लगाये, उस पे कुंडी भी चढाये, ताला हैवी हमने लगाया, फिर भी तुमको दिल में पाया। कब्जा दरवाजे का तोड़ा, दिल पे क़ब्ज़ा करके छोड़ा। हार गये हम दिल की बाज़ी, बाजीगर को सजन बनाये। दे रहा है जग ये सारा ,अब हमें शुभकामनाये।।

पान की गिलौरी से पिया

  गीतिका छंद २१२२ २१२२ २१२2 २1२ पान की मीठी गिलौरी, से पिया हमको लगे, देखते ही रंग धानी, प्रीत के सपने जगे। जानते थे कत्था चूना भी मिलेगा साथ में, चाबनी भी है सुपारी जो फँसेगी दाँत में। हाय मधु गुलकंद सी मुस्कान पे हम क्युँ बिके, रंग बदले प्रीत के अब, लाल ही बस पी दिखे।।   

सबसे महान कौन

सबसे महान कौन देखी एक सभा निराली,हर कोई विद्वान । अलग अलग विचार थे, सब में भरा था ज्ञान ।। अपने अपने ज्ञान का था सब में अभिमान, अलग अलग रूप सजा,अलग अलग परिधान। पानी ,नीर, तोय सलील, अंबु और जल, सबसे महान कौन है, निकालना था हल। पहला कहे कहता मैं सत्य सबसे बडा है पानी, पानी से ही रची है सृष्टि की अमर कहानी। पानी से बडा न कोई न पानी के समान, केवल पानी ही देता इस जीवन को प्राण। दूजा कहे जग की मिटाता ये ही केवल पीर, अमृत सा निर्मल करता नाम है बस नीर। ये ही आदि ये ही अनंत केवल इसको जान, नीर नीर कहता चल कर अपना कल्याण। तीजा कहे नाम छोटा पर सबसे ज्यादा बल , तरल भी ये सरल भी ये, ये है अमृत जल। इसका आचमन कर दे पल में जीवन सफल, सुधार सकता ये ही केवल, तेरा आने वाला कल। चौथा कहे बताया देर से ये दोष न देना मोय, निष्कंटक सुगम राह पर ले जाता है बस तोय। मन की तृष्णा बुझाये, पावन भी कर जाये, पाप तुम्हारे सारे पिछले चुटकी में बहा जाये। पाँचवा कहे सुनना मेरी छोटी सी ये दलील, निर्गुण अविनाशी सब में बसता ये तो है सलील। आकार नही है पर ये ही है जग का आधार, बात मेरी मान लो ये ही जीवन का सार। छठा कहे ये सारे छोट...

दुर्गा नवरात्री के पर्व पर

  दुर्गा माँ के नवराते , नौ देवी दर्श कराते, व्रत हवन पाठ से, मैया तुम्हे  बुलाते। पहली माँ शैलपुत्री, दूजी ब्रह्मचारिणी, तीजी माता चन्द्रघंटा,के गुण हम ध्याते। कुष्मांडा है चौथी देवी, पाँचवी है स्कंधमाता, छठी दुर्गे कात्यानी का, दरबार सजाते। आँठवी है कालरात्रि, नवी दुर्गे महागौरी, पूज नव दुर्गे रूप, सौभाग्य हम पाते। शालिनी गर्ग  

पितृ श्राद्धपक्ष पर कविता

  पितरों का पर्व आता, ढ़ेर सारी यादें लाता, परंपराये संस्कार, हमें भी निभाने है। प्रेम से भोज बनायें, ब्राह्मन घर बुलाये, दान दक्षिणा देकर, आशीर्वाद पाने है, कुल की सुख समृद्धि, पितरो ने सदा चाहीं, हमें सपने उनके, सच कर जाने हैं। आपसी द्वेष भुलायें, कुटुंब प्रेम बढ़ाये, श्रद्धा सम्मान देकर, पर्व ये मनाने हैं। शालिनी गर्ग

अवधूत गीता दत्तात्रेय के 24गुरु श्रीमद भागवतम से

  चौबीस गुरू बता दिये , दत्तात्रेय भगवान। देखो कौन कौन दिये , ज्ञानवान को ज्ञान।।   1.पहली गुरु पृथ्वी कहें , सहन करे आघात। मात बनकर क्षमा करे , पोषण दे दिन रात।। 1 ।।   2.दूजा गुरु बहता पवन , रहता सदा स्वछंद।   दोष रहित पावन सतत , कर ले कोई संग।। 2 ।।    3.तीजा गुरु आकाश है , सीमा अपरम्पार   सजे ब्रह्मांड गोद में , करता न अहंकार।। 3 ।।   4. चौथा गुरु शीतल सरल , जल है जिसका नाम।   भेदभाव जाने नहीं , जीवन देना काम ।। 4 ।।   5. अग्नि सिखाती है हमें , चमको जैसे धूप।    जिसे मिलों ऐसे मिलो , दे दो अपना रूप ।। 5 ।।   6. बढता घटता चाँद गुरु , होता नहीं निराश।   धरती को दे चाँदनी , मांग रवि से प्रकाश ।। 6 ।।   7.  सूरज गुरु चमके सदा , करे नहीं विश्राम।    धूप , ताप , वर्षा सभी , देना उसका काम ।। 7 ।।   8. बता कबूतर गुरु दिये , मत करना तुम लोभ।   विवेक हर लेगा तभी , दे जायेगा शोक ।। 8 ।।...