गीता रथ कुछ कहता है दृश्य 1: दादाजी का कमरा ( राहुल उत्साहित होकर दौड़ता हुआ दादाजी के पास आता है। दादाजी आराम कुर्सी पर बैठे हैं।) राहुल: ( उछलते हुए) "दादाजी! दादाजी! पता है आपकी वीडियो पर अब तक के सबसे ज़्यादा व्यूज़ आए हैं। सब लोग कह रहे हैं कि आगे भी कहानी सुननी है। प्लीज़ दादाजी , आगे भी सुनाइए ना।" दादाजी: ( मुस्कुराते हुए) "फिर से वीडियो बनाएगा राहुल ?" राहुल: ( मोबाइल हाथ में लेकर हँसते हुए) "हाँ , दादाजी!" दादाजी: " तो पहले गीता की किताब और मेरा चश्मा उठा ला। और ये बता , पिछली वीडियो से क्या सीखा ?" राहुल: ( कुर्सी के चक्कर लगाते हुए , हाथ ऊपर घुमाते हुए) "दादाजी , मैंने सीखा था कि हमारे अंदर ही गुणों के पांडव और अवगुणों के कौरव रहते हैं। हमें बाहर किसी से युद्ध नहीं करना होता , हमें स्वयं से युद्ध करना है। अपने गुणों को शस्त्र बनाकर अपने अवगुणों को हराना है। जिसमें भगवान कृष्ण हमारी मदद सारथी बनकर करते हैं।" दादाजी: " बहुत बढ़िया , राहुल! अब बैठ जाओ और बताओ , क्या तुमने यह युद्ध करने की कोशिश की ?...
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