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कहानी एक गीता स्वयं से युद्ध ( भगवद्गीता सरल कहानियाँ)


गीता सरल कहानियाँ 

                       गीता स्वयं से युद्ध

 एक था राहुल, “नाम तो सुना ही होगा” यही कहता था जब अपना परिचय देता था। राहुल, किशोर उम्र का लड़का, थोड़ा शरारती और भोला, मस्ती का पहन चोला उछलकूद करता ही रहता था। कल उसका जन्मदिन था, जिसे उसने परिवार और दोस्तों के साथ धूमधाम से मनाया। बहुत मजा आया और सबसे ज्यादा उसे अच्छा लगा की उपहार में मम्मी पापा ने मोबाइल दिया, वो भी उसकी मनपसंद कंपनी, मनपसंद फीचर्स जो भी उसे चाहिए था सब था उसमें। अब जो राहुल नाम का शाहरुख खान उसके अंदर सोया था वह जाग चुका था।

राहुल: (उत्साहित होकर) "अब मैं भी रील बनाकर अपने फॉलोअर्स बढ़ाऊंगा!"

(राहुल तरह-तरह के डायलॉग्स पर लिपसिंग करने और जोक्स पर रील बनाने में लग जाता है। बहुत मजा भी आता था पर समय तो पंक्षी सा उड जाता उसे पता ही नहीं चलता।

मम्मी: (चिल्लाते हुए) "राहुल! होमवर्क कब करोगे? बस सारा दिन मोबाइल में ही लगे रहो, जल्दी आओ!"

राहुल: (घबराते हुए) "बस मम्मी, दो मिनट!"

(लेकिन वो आधे घंटे बाद आता है और जल्दी-जल्दी होमवर्क खत्म करता है, पर मन पढ़ाई में नहीं लगता। स्कूल में जब टीचर की डाँट पडी की ये क्या राहुल इतनी ज्यादा गलतियाँ कैसे की है तब दिमाग में चलती हुई रील थोड़ी पोज हुई तब समझ आया कि होमवर्क तो पहले खत्म करना है पर रील अपनी तरफ खींचती की आज वाली तो बहुत फनी है ये सबको पसंद आएगी पर दोस्तों ने देखने के बाद कहा ये तो राहुल बहुत बार देख चुके हैं। राहुल सोचने लगा कुछ नया बनाया जाए (वह यही सोच रहा था और तभी दादाजी की आवाज आती है।)

दादाजी: "राहुल बेटा, जरा एक गिलास पानी देना।"

राहुल: (पानी देते हुए) "अच्छा दादाजी, ये लीजिए पानी । दादाजी आप गीता पढ़ रहे हैं ना?"

दादाजी: (मुस्कराते हुए) "हाँ बेटा, मैं गीता पढ़ रहा हूँ। क्या तुम्हें इसके बारे में कुछ पता है?"

राहुल: "हाँ दादाजी, भगवान कृष्ण अर्जुन को युद्ध करने के लिए कहते हैं। लेकिन युद्ध तो अच्छा नहीं होता, है ना दादाजी ? जब आपका लाड़ला छोटू लाल  छोटा मेरी चीजें ले लेता है, तब आप कहते हो ना कि कोई बात नहीं राहुल, झगड़ा मत करो। फिर भगवान क्यों कहते हैं?" अर्जुन को युद्ध करने के लिए।

दादाजी: (मुस्कराते हुए) "अगर बेटा जी तुम मेरे पास 10 मिनट बैठो तो मैं तुम्हें इसका उत्तर दूँ।"

राहुल: (हँसते हुए) "ठीक है दादाजी, क्या मैं आपकी वीडियो भी बना सकता हूँ?"

दादाजी: (हँसते हुए) "हाँ,हाँ अब मेरी भी रील बना ले तू।" दादाजी ठीक से बैठ जाते हैं बालो पर हाथ फेरते हुए कहते हैं तो राहुल पहले वीडियो में अपना प्रश्न जो पूछा था वो दोबारा पूछो और वीडियो बनानी शुरु करो फिर मैं उत्तर दूँगा।

(राहुल वीडियो बनाना शुरू करता है।)

राहुल: (कैमरे की ओर देखते हुए) "दादाजी, गीता में भगवान कृष्ण अर्जुन से युद्ध करने के लिए क्यों कहते हैं? क्या युद्ध करना अच्छी बात है?"

दादाजी: (मोबाइल की ओर देखकर) "बेटा, गीता में हमें बताया गया है कि हमें युद्ध करना है, लेकिन ये युद्ध किसी और से नहीं, स्वयं से करना है।"

राहुल: (हैरान होकर) "स्वयं से युद्ध? मतलब मैं खुद को ही मारूँ? खुद से लड़ूँ?"

दादाजी: "खुद को मारने का मतलब है अपनी बुरी आदतों, बुरे विचारों और बुरी इच्छाओं को मारना उनसे लड़ना उन्हे नियंत्रित करना।"

क्या तुम जानते हो राहुल महाभारत का युद्ध किस-किस के बीच में हुआ था?

 

राहुल: "दादाजी, महाभारत का युद्ध तो कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था, ना?"

दादाजी: क्या तुम जानते हो बेटा ये कौरव और पांडव अभी भी हैं ।

राहुल: (आश्चर्य से) "ये अभी भी जिंदा हैं? कहाँ रहते हैं दादाजी? कैसे दिखते हैं? अब तो बूढ़े हो गए होंगे ना?"

दादाजी: (हँसते हुए) "ये कभी बूढ़े नहीं होते बेटा। कौरव वो गलत विचार हैं जो हमें भाते हैं हमें गलत रास्ते पर ले जाते हैं। ये हमें विचलित करते हैं हमें गलत काम करने को उकसाते हैं हमें हमारे मार्ग से भटकाते हैं ये एक नहीं सौ से भी ज्यादा कौरव हमारे अंदर हैं और ये हमारे मन को धृतराष्ट्र जैसा बना देते है जो बुद्धि की सुनता ही नहीं है। और पांडव वो अच्छे गुण हैं जो हमें सही मार्ग दिखाते हैं।"

राहुल बेटा क्या तुम जानते हो पाँच पाण्डव कौन-कौन थे ?

राहुल: "दादाजी, पाँच पांडव थे"

"युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव।

 दादाजी: युधिष्ठिर धर्म के ज्ञाता थे, भीम शक्तिशाली थे, अर्जुन महान धनुर्धर थे, नकुल सुंदर और पशु विशेषज्ञ थे, और सहदेव सहनशील और ज्ञानी थे।"

दुर्योधन के कहने पर अपने राज्य से निकाल कर धृतराष्ट्र नें इन्हे वनवास दे दिया था और बाद में भी उनका राज्य देने को मना कर दिया था। हम भी आजकल धन वैभव को पाने के लिये अपनी इच्छाओं को पूरा करनें के लिये अपने अंदर की युधिष्ठिर जैसी सत्यता, भीम जैसी शक्ति और आत्मविश्वास, अर्जुन सा लक्ष्य नहीं रखते उनको छोड देते हैं। नकुल सा प्रकृति प्रेम नहीं रखते और सहदेव जैसी सहनशीलता और जो अपना ज्ञान है उसको भूल जाते हैं। बस दूसरो जैसा बनने की होड़ मे अपने अंदर के गुणों वाले पाण्डवो को बाहर भेज देते हैं । तो राहुल गीता युद्ध है इन पांडवो को अपनाकर अपने अंदर के सौ अवगुणों के कौरवो के साथ लडने का उन्हे पराजित कर नियंत्रित करने करने का ।

राहुल: (गंभीर होकर) "तो दादाजी, गीता का मतलब है स्वयं से युद्ध हमें अपने अंदर के बुरे विचारों से लड़ना है और अपने अच्छे गुणों को अपनाना है?"

दादाजी: हाँ राहुल और जब हम ये स्वयं से युद्ध प्रारंभ करते हैं तो इस में हमारी मदद करते है सारथी बनकर स्वयं भगवान कृष्ण।

अब आगे की कहानी मैं कल बताऊँगा अभी मुझे आराम करना है राहुल मुस्कराता है और दादाजी को प्रणाम करता है। फिर वो अपना होमवर्क करने लग जाता है, यह सोचते हुए कि अब उसे अपने अंदर के कौरवों से लड़ना है और पांडवों को जीत दिलानी है।

 

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